Big Breaking : प्रदेश में आई एक और नई बीमारी – पढ़े पूरी खबर

Corona से बच भी गए तो अगर ये
लक्षण नज़र आएं हो जाइए सावधान!
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- रायपुर/एक्ट इंडिया न्यूज
- कोरोना से ठीक हुए कुछ लोगों में एक खतरनाक बीमारी पाई गई है। इस बीमारी में मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस नाम का एक ब्लैक फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस वातावरण में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है। सही समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीजों की जान तक जा सकती है। खासकर यह बीमारी डायबिटीज और क्रॉनिकल बीमारी वालों के लिए खतरनाक है।
- छत्तीसगढ़ में भी इस ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। पूरे प्रदेश में कोरोना के बाद ब्लैंक फंगल का शिकार हुए मरीजों की संख्या करीब 50 की बतायी जा रही है, जो अलग-अलग जिलों में है। हालांकि पूरी तरह से उन मरीजों की जानकारी सामने नहीं आ पायी है। बताया जा रहा है कि रायपुर एम्स में करीब 15 मरीजों के ब्लैक संक्रमण से प्रभावित होने की स्पष्ट जानकारी आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गयी है।
चली जाती है आंखों की रौशनी…
- इस बीमारी के चलते मरीजों को अपनी आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है। कुछ समय से कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन की खबरें आ रही हैं और अब इस संबंध में सरकार ने एडवाइजरी जारी कर सलाह दी है। इसमें कहा गया है कि समय पर अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह देर हो सकती है। ब्लैक फंगस के मामले देश के कई राज्यों में मिले हैं।
क्या है ब्लैक फंगस?
- रायपुर के एक निजी अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉ. ललित शुक्ला के मुताबिक यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है, लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता। इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है, क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है। कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है, तो ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है।
ब्लैक फंगस केस में मृत्यु दर 50 फ़ीसदी…
- डॉ. ललित के मुताबिक ब्लैक फंगस शरीर को तेजी से संक्रमित करता है और ज्यादा समय नहीं देता है। ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है। यानी आधे मरीज ही बच पा रहे हैं। इस बीमारी से दो से तीन दिनों में ही हालात बेकाबू हो सकते हैं और मरीज की जान चली जाती है।
- डॉक्टर ने सलाह देते हुए कहा कि अगर ब्लैक फंगस के कोई भी लक्षण दिखे, तो ऐसे अस्पताल जाएं जहां नेत्र सर्जन, ईएटी और न्यूरो के एक्सपर्ट डॉक्टर हों, तीनों से ही इस मामले में सलाह लें।
कहीं दवा तो नहीं बन रही खतरा?
- दरअसल, कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं। जिसकी वजह से मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है। यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है। ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
जानिए अखिर कैसे होता है ब्लैक फंगस?
- अभी इस ब्लैक फंगस का संक्रमण बहुत कम देखने को मिल रहा है, लेकिन यह घातक होता है। यह पहले त्वचा में दिखता है और फिर फेफड़ों और मस्तिष्क को भी संक्रमित करता है। कोविड टास्क फोर्स ने इस खतरनाक फफूंदी को लेकर लोगों को एक एडवाइजरी जारी कर सावधान किया। ये फफुंदी उन लोगों को जकड़ रही है जो संक्रमित होने की वजह से दवाएं खा रहे हैं।
कैसे होता है इलाज़??
- म्यूकर माइकोसिस से बचाने के लिए एंफोटेरिसेन-बी इंजेक्शन जरूरी है और गंभीर मामला यह है कि इंजेक्शन थोक और रिटेल, दोनों ही बाजार में उपलब्ध नहीं है। जबकि रायपुर में 3 दिन से रोजाना ऐसे 10-15 इंजेक्शन की मांग आ रही है।
- इंजेक्शन लगाने के बाद यह इंफेक्शन ठीक हो सकता है, इसलिए कई निजी अस्पताल संचालक थोक दवा कारोबारियों से इंजेक्शन के लिए संपर्क कर रहे हैं। भास्कर ने मंगलवार को थोक दवा बाजार व मेडिकल स्टोर से संपर्क किया तो पता चला कि यह इंजेक्शन बाजार में ही उपलब्ध नहीं है।
क्या हैं ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण?
- खूनी उल्टी और मानसिक दशा में बदलाव।
- नाक का बंद हाेना, मानों साइसन की समस्या हो, नाक के नजदीक भी सूजन आने लगती है।
- नाक से काले म्यूकस का डिस्चार्ज होना।
- मुंह के तालू पर काला निशान।
- नाक पर चश्मा टिकाने वाली जगह काला निशान।
- दांत ढीले हो जाना।
- जबड़े में दिक्कत होना।
- तालू की हड्डी काली पड़ने लगती है।
- साफ न दिखे या चीजें दो-दो दिखें और आंख में दर्द भी हो।
- थ्रॉम्बोसिस यानी कॉरोनरी आर्टरी में थक्का।
- नेक्रोसिस यानी किसी अंग का गलने लग जाना।
- त्वचा पर चकत्ते।
- आंख के नीचे दर्द व सूजन है।
- मसूड़ाें में सूजन आना, यहां तक की उनमें पस तक पड़ने लगता है।
ऐसे कर सकते हैं खुद का बचाव…
- कोरोना संक्रमित मरीज का घर पर इलाज चल रहा है तो खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें।
- शरीर में शुगर बढ़ा हो, तो उसे नियंत्रित करने की दवा चिकित्सक की सलाह पर लें।
- अगर चिकित्सक ब्लड शुगर की जांच ना लिखे, तो खुद से इसकी जांच कराएं।
- जो मरीज कोरोना से ऊबरकर घर लौटे हों वे दो से तीन हफ्ते विशेष सावधानी बरतें।
- पोस्ट कोविड में कई तरह की दिक्कत हो सकती है।
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