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बड़ी खबर : व्यापमं घोटाले के बाद छत्तीसगढ़ के विधायक के नाम पर डिग्री घोटाला! – कब लगेगा घोटालों पर ताला ?

युवाओं के भविष्य से हो रहा है खिलवाड़!
- रायपुर। व्यापमं घोटाले के बाद अब मध्य प्रदेश में डिग्री देने को लेकर लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बिना परीक्षा दिए मार्कशीट और डिग्री दिया गया है। वो भी छत्तीसगढ़ के एक विधायक का है, जो स्वयं एक एमबीबीएस डॉक्टर हैं। विधायक के नाम पर फर्जी डिग्री दिया है. छत्तीसगढ़ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता और विसलब्लोअर संजीव अग्रवाल ने सूत्रों के अनुसार दस्तावेज के आधार पर मीडिया के माध्यम से एक चौंकाने वाला खुलासा किया है।
- संजीव अग्रवाल ने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ के विधायक डॉ. विनय जयसवाल ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उक्त मामले की जानकारी तीन माह पूर्व ही पत्र लिखकर एक ईमेल के माध्यम से दी है, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। इसका सीधा मतलब यह है कि उक्त प्रकरण में उनकी मौन स्वीकृति है।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
- ऐसा ही घोटाला व्यापमं के नाम पर भी चर्चा में आया था और अब उसके बाद डिग्री घोटाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात कहते हैं लेकिन भाजपा शासित प्रदेश में ही छत्तीसगढ़ के एक विधायक डॉ. विनय जयसवाल नाम पर डिग्री जारी की जाती है और उस विधायक डॉ. विनय जयसवाल द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो इसे क्या समझा जाए?
- संजीव अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से मांग कि है कि वे इस विषय को संज्ञान में लेते हुए एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दें और इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
बिना परीक्षा लिए मार्कशीट जारी
- संजीव अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों को मोटी रकम लेकर बैक डेट में यूनिवर्सटी बिना परीक्षा लिए मार्कशीट जारी कर रही है। उन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा जारी फर्जी मार्कशीट ही कहा जा सकता है। ऐसा करके वे देश के लाखों काबिल और अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ने वाले युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में लगाएंगे जनहित याचिका
- अग्रवाल ने कहा कि सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं छत्तीसगढ़ और देश के दुसरे राज्यों में भी यूनिवर्सिटी ऐसी मार्कशीट सिर्फ पैसा लेकर जारी कर रही है। सरकार यदि एक निश्चित समय मे ऐसी यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती और यूजीसी ऐसी यूनिवर्सिटीज की मान्यता खत्म नहीं करती है तो वे ऐसी यूनिवर्सिटीज की मान्यता रद्द करने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाएंगे।
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