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कोरोना संकटकाल : सरकार की विफलता का खामियाजा भूगत रहे प्रदेशवासी – योगेश तिवारी

मानवता शर्मसार है,
टूटती सांसों का भी सौदा हो रहा,
दवाइयों की कालाबाजारी
रोकने में सरकार नाकाम
– योगेश तिवारी –
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- बेमेतरा/एक्ट इंडिया न्यूज/15/04/2021
- मानवता आज शर्मसार है, टूटती सांसों का भी सौदा हो रहा है। कोरोना महामारी में अपनों को बचाने की जद्दोजहद के बीच जीवन रक्षक दवाईओ की कालाबाजारी ने शर्मसार किया है, लेकिन ऐसी संकट की घड़ी विभिन्न समाज के लोग आगे आकर मानवता को बचाने हर सम्भव मदद कर रहे हैं।

- उक्त बातें किसान नेता योगेश तिवारी ने कही, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण के रोकथाम में विफल रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश में कोरोना संक्रमण के फैलने के लिए महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र को दोषी बता रहे हैं। समय पर राज्य की सीमाएं सील नही की गई। जिसका खामियाजा प्रदेश के लोग भुगत रहे हैं। आज सरकार सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजो के सही इलाज, ऑक्सीजन की उपलब्धता, दवाइयों की कालाबाजारी समेत अन्य मोर्चो पर फेल हो गई है।
अपनो को बचाने रोजाना आ रहे
दर्जनों फोन, सरकार व्यवस्था
बनाने में नाकाम
- किसान नेता के अनुसार बेमेतरा विधानसभा समेत अन्य क्षेत्रों से रोजाना दर्जनों लोगो के फोन आते हैं। वे जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे अपनो को बचाने ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन, बेड के लिए मदद की गुहार लगाते हैं। लेकिन सरकारी अव्यवस्था के कारण हर किसी की मदद कर पाना सम्भव नही हो रहा है। सरकार मरीजो को इलाज मुहैया कराने में नाकाम रही है।
कालाबाजारी कर रहे मनमानी,
5 गुना दाम पर बेच रहे दवाई
- गम्भीर कोरोना मरीज के परिजन रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। कुछ दवा व्यापारियों की सवेंदनहीनताका आलम यह है कि करीब 1 हजार रूपए में मिलने वाले इंजेक्शन को 6 -10 हजार रूपए तक बेचा जा रहा है। सरकार कालाबाजारियो पर कार्रवाई करने में असफल रही है। नतीजतन वे मनमानी करने पर उतारू है। वही परिजनों को दवाई के लिए घण्टो लाइन लगानी पड़ रही है, जहां इंजेक्शन मिलने की पक्की भी नहीं है। इसलिए कालाबाजारी करने वाले दवा व्यपारियो का ड्रग लायसेंस रद्द करने के साथ एफआईआर होनी चाहिए।
इलाज की सुविधा नही,
विकल्पों पर विचार जरूरी
- किसान नेता योगेश तिवारी ने बताया कि बेमेतरा जिले में सबसे अधिक मौते बेरला ब्लॉक में हो रही है। रोजाना 100 से अधिक मरीज मिल रहे हैं, बावजूद बेरला में इलाज के नाम पर सिर्फ 12 बिस्तर का कोविड अस्पताल है। ऐसे में समय पर इलाज नही मिलने से बेरला ब्लॉक में ज्यादा मौते हो रही है। इसलिए मरीजो को बेरला में इलाज मिले इसके लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना जरूरी है।
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