झीरम मामले की आठवी बरसी पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने 5 सवाल जारी करते हुये कहा है कि झीरम की घटना को 8 साल पूरे हो गये। कम से कम अब तो झीरम की दुखद घटना के पीछे की साजिश उजागर होना ही चाहिए। झीरम की आठवीं बरसी पर केंद्र सरकार से मांग है कि एनआईए जब अपनी अंतिम रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर चुकी है तो एनआईए के पास उपलब्ध अभी तक के जांच के दस्तावेज छत्तीसगढ़ सरकार को आगे की जांच के लिए सौंप दिये जायें।
2018 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव झीरम मामले की जांच और दोषियों को सजा दिलाने पर लड़ा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार बनते ही झीरम के मामले की जांच की पहल की लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम मामले की जांच के हर कोशिश को भाजपा की केंद्र सरकार के इशारों पर बाधित किया गया है।
लोकसभा चुनाव 2014 के चुनाव प्रचार के लिए नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए थे तो धमतरी की सभा में उन्होंने कहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर झीरम की जांच को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा और झीरम के आरोपियों को सजा मिलेगी। लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गई।
2013 में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पूरे प्रदेश का भ्रमण करने के बाद बस्तर पहुंची थी और सुकमा के बाद यह यात्रा राजधानी रायपुर आने वाली थी जहां परिवर्तन यात्रा का समापन होता। 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर सुकमा से वापस आते समय झीरम घाटी में हमला हुआ और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा, गोपी माधवानी, अभिषेक गोलछा सहित कांग्रेस के अनेक नेता और सुरक्षाकर्मी इस हमले में शहीद हुए।
घटना के बाद रात को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दूसरे दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी जी भी रायपुर पहुंचे। झीरम की घटना से पूरे प्रदेश के लोग और कांग्रेस जन आहत हुए थे। एनआईए की जांच स्थापित की गई। प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा एनआईए जांच के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों ने एनआईए जांच में सहयोग नहीं किया जिस बात को तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत और कांग्रेस विधायक दल के नेता रविंद्र चौबे ने अनेक बार उठाया था।
पहले 5 साल भाजपा की राज्य सरकार ने एनआईए की जांच में सहयोग नहीं किया और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद एनआईए को षडयंत्र की जांच नहीं करने दी गयी। 2018 के बाद झीरम की जांच जब-जब छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू की है, एनआईए ने अदालत जाकर उस जांच को रोकवाने के लिये याचिका प्रस्तुत की।