बस्तर की राजनीति में हाल के दिनों मेंकांग्रेस और भाजपा के बीच चला वाकयुद्ध चर्चा का विषय बना रहा. जहां देखो वहां लोग चटखारे ले लेकर चंगू- मंगू की ही बातें करते दिख जाया करते थे. सियासी ड्रामे का यह दौर थमा ही था, कि अब नाना – नाती और गुरु – चेले के बीच शुरू हुई नई जुबानी जंग हर आम और खास के लिए किस्सागोई का सबब बन गई है. यह जुबानी जंग बस्तर के पूर्व वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और छत्तीसगढ़ की मौजूदा कांग्रेस सरकार में मंत्री कवासी लखमा के बीच छिड़ी है. रिश्ते में श्री नेताम और श्री लखमा नाना और नाती लगते हैं. वहीं श्री नेताम को श्री लखमा का राजनैतिक गुरु भी माना जाता है।
इन दिनों पूरे अंचल में जहां बस्तर दशहरा कीधूम मची हुई है, वहीं दूसरी ओर बस्तर की राजनीति में बयानों की दिवाली जैसी आतिशबाजी भी शुरू हो गई है. सियासी सलाहों और छींटाकशी की फुलझड़ियां जमकर छोड़ी जा रही हैं. बयानों के बम फोड़े जा रहे हैं. इस सियासी बमबाजी की शुरुआत सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने शुरू की थी और अब इसमें नाना अरविंद नेताम तथा नाती कवासी लखमा की एंट्री हो गई. छ्ग के केबिनेट मंत्री कवासी लखमा के निर्वाचन क्षेत्र कोंटा के अंतर्गत सुकमा जिला मुख्यालय में मनीष कुंजाम ने एक बड़ी जनसभा आयोजित की थी. सभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम भी आमंत्रित थे।
पहले अपने भाषण में श्री कुंजाम नेकवासी लखमा पर आदिवासियों के हक़ में काम न करने समेत कई आरोप लगाए. इसके बाद माईक थामते ही अरविंद नेताम ने तो कवासी लखमा पर आरोपों की ऐसी बमबारी कर डाली कि दीपावली की आतिशबाजी भी फीकी पड़ जाए. श्री नेताम ने अपने भाषण में श्री कुंजाम द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन करते हुए श्री लखमा को जमीन पर रहने की नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि कवासी लखमा आदिवासियों के हक़ में काम करें, ना कि बड़े उद्योपतियों के इसके जवाब में कवासी लखमा ने श्री नेताम को बुढ़ऊ करार देते हुए उन्हें घर में रहकर आराम करने की नसीहत दे डाली. बहरहाल इन दोनों नेताओं के बयानों ने बस्तर की राजनैतिक फ़िज़ा में दीपावली की आतिशबाजी जैसा माहौल बना दिया है और लोग मजे ले रहे हैं।
लखमा आकाश में ना उड़ें : नेताम
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने सार्वजनिक मंच से कहा कि कवासी लखमा को पद का गरूर नहीं करना चाहिए और ना ही ज्यादा उड़ने की कोशिश करनी चाहिए. पंछी कितनी भी ऊंचाई तक उड़ान भर रहा हो, लेकिन अंततः दाना चुगने के लिए उसे जमीन पर ही आना ही पड़ता है। इसलिए लखमा को भी अपनी जमीन पहचाननी चाहिए, जीवन की यात्रा जब पूरी हो जाती है तो आखिर में सभी को समाज और परिवार के ही लोगों के कंधों की जरूरत पड़ती है। मैं भी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुका हूं और मुझे जीवन की सच्चाई का खासा अनुभव है. कवासी लखमा भले ही सबके दादी कहलाते हैं, लेकिन मैं उनका नाना हूं. उन्हें राजनीति में लाने वालों में से एक मैं भी हूं। श्री नेताम ने श्री लखमा को सलाह दी कि वे अपने पद का सदुपयोग करते हुए बस्तर और राज्य के आदिवासियों के हित में काम करें, न कि अडानी जैसे उद्योगपतियों के।
नेताम बुढ़ा गए हैं, अब घर में
आराम करें : लखमा
मंत्री कवासी लखमा ने अरविंद नेताम केआरोपों का सधे हुए शब्दों में जवाब दिया, उन्होंने कहा कि श्री नेताम से जरूर मैंने राजनीति सीखी है, वे मेरे राजनैतिक गुरु हैं, मगर यह भी सच है कि श्री नेताम को राजनैतक पहचान और बड़े पद कांग्रेस की बदौलत मिली है, वे कांग्रेस में कई बड़े पदों पर रहे केंद्र सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई थी। बावजूद श्री नेताम ने बस्तर और आदिवासियों के हित में कोई काम नहीं किया वे बूढ़े हो चुके हैं, इसलिए उल्टी सीधी बातें ना करते हुए घर में रहकर आराम करना चाहिए। इनकी सेवा करने के लिए घर में और भी नाती – पोते है, श्री नेताम मेरे राजनैतिक गुरु हैं इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं और उनके खिलाफ इससे ज्यादा कुछ नहीं बोल सकता लेकिन यह सच्चाई भी किसी से छुपी नहीं है कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी श्री नेताम ने बस्तर और आदिवासियों के हित में कुछ भी नहीं किया।