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सैनोटाइज : ये नाक में डालने वाला स्प्रे कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग में गेम चेंजर साबित हो सकता है ?

इससे न तो वायरस पनप पाता है
और न ही फेफड़ों में जाकर
नुकसान पहुंचा पाता है।
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- भारत इस समय कोरोना वायरस की दूसरी घातक लहर का सामना कर रहा है जहां हर रोज लगभग 4 लाख के करीब ने मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकारें तरह-तरह के कदम उठा रही हैं लेकिन इस बीच वैज्ञानिक भी इस जानलेवा वायरस को रोकने के लिए नए-नए इनोवेशन कर रहे हैं. इस बीच कनाडा की एक कंपनी सैनोटाइज (SaNOtize) ने दावा किया है कि उसने नाक से डालने वाला ऐसा स्प्रे बनाया है जो कोरोना वायरस को मार सकता है।
- सैनोटाइज ने दावा किया है कि उसने ऐसा नेचल स्प्रे बनाया है जो 99.99 फीसदी कोरोना वायरस को खत्म कर देता है. यही नहीं कंपनी का यह भी दावा है कि यह स्प्रे कोरोना से बीमार लोगों को जल्दी ठीक कर देगा. सैनोटाइज ने कहा कि उनका नाक में डालने वाला स्प्रे हवा में ही कोरोना वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है।
- इसे नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (nitric oxide nasal spray) कहा जाता है. यह नाक में वायरल लोड को कम कर देता है. इससे न तो वायरस पनप पाता है और न ही फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचा पाता है।
- हालांकि अभी तक इसे भारत में मंजूरी नहीं मिली है. कोविड-19 के खिलाफ एक ढाल और हथियार के रूप में आपातकालीन स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रहा ये नाक स्प्रे भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है. इस स्पेर को इजरायल के वैज्ञानिक ने विकसित करने में मदद की है।
- सैनोटाइज का दावा है कि जिन लोगों ने उनका नाक का स्प्रे ट्रायल्स के दौरान उपयोग में लिया, उनके शरीर से वायरल लॉग रिडक्शन पहले 24 घंटे में 1.362 था. इस लिहाज से एक दिन में वायरस की संख्या में 95 प्रतिशत की कमी आएगी. अगले 72 घंटों में ये बढ़कर 99 फीसदी हो जाएगा।
- वैंकूवर बायोटेक फर्म सैनोटाइज द्वारा विकसित स्प्रे के बारे में कहा जाता है कि यूके वैरिएंट के खिलाफ इसके यूके और कनाडा ट्रायल्स में आशाजनक परिणाम मिले हैं. कंपनी आपातकालीन स्वीकृति के लिए दुनिया भर के नियामकों से अनुमित की प्रतीक्षा कर रही है।
- सैनोटाइज की CEO और सह-संस्थापक डॉ. गिली रेगेव का कहना है कि हम भारत में पार्टनर तलाश रहे हैं और उम्मीद है कि इस स्प्रे को भारत में मेडिकल डिवाइस के तौर पर मंजूरी मिल जाएगी. उन्होंने भारत में कुछ बड़ी दवा कंपनियों से बातचीत शुरू की है. पर इस समय उन्होंने सरकार या रेगुलेटर से संपर्क नहीं किया है।
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