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मरीज एवं परिजन दर-दर भटक रहे – विकास उपाध्याय

  • रायपुर (छत्तीसगढ़)। एआईसीसी सचिव एवं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ अंतर्गत स्वास्थ्य के क्षेत्र में भाजपा व उनकी डबल इंजन सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि एक तरफ केन्द्र की मोदी सरकार अपनी गारंटी योजनाएँ लाने की बात करती है और दूसरी तरफ आम जनता को मिल रही स्वास्थ्य योजनाओं को बंद भी कर देती है। उपाध्याय ने बताया कि केन्द्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है और यदि मरीज को लाभ दे रही है तो वह भी आधी-अधूरी ही दे पा रही है, और जहाँ आयुष्मान से उपचार हो रहा है वहाँ अतिरिक्त शुल्क भी लिया जा रहा है। शासकीय अस्पतालों में भी मरीजों को योजना संबंधित लाभ प्रदान करने में मुश्किलें उत्पन्न हो रही हैं।
  • मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना में भी सरकार की कोई जिम्मेदारी नजर नहीं आ रही, जिससे मरीज एवं परिजन फिर से उपचार के लिए दर-दर भटक कर हाथ फैलाने मजबूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के लिए मरीजों को लाभ लेने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, ज्यादातर मरीजों के परिजन परेशान होकर फिर से बड़ी मुश्किल एवं कर्ज-उधार लेकर अस्पतालों की फीस भर रहे हैं।
  • पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब डबल इंजन सरकार पूरी तरह फेल हो गई है, उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय जी से सवाल किया है कि मोदी जी की गारंटी का क्या हुआ? क्यों निजी प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान योजना का भुगतान करना बंद हो गया? और क्या कारण है कि लाभान्वित मरीजों को आयुष्मान योजना से वंचित किया जा रहा है? क्यों मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना का लाभ लेने मरीजों के परिजनों को परेशानी उठानी पड़ रही है? विकास उपाध्याय ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार सिर्फ और सिर्फ आम जनमानस को गुमराह करना जानती है, पहले थोड़ा प्रलोभन दिखाती है फिर योजनाएँ बंद कर उन्हें परेशान भी करती है और अंत में जीएसटी, ट्रेनों के किरायादर जैसी सुविधाओं में वृद्धि कर आम जनमानस को ठगने का काम भारतीय जनता पार्टी ही कर रही है। उपाध्याय ने कहा कि बहुत से निजी अस्पताल ऐसे हैं जो शत् प्रतिशत आयुष्मान से मरीजों का ईलाज कर रहे हैं लेकिन अबतक शासन द्वारा उनका भुगतान नहीं हो पाया है और हुआ भी है तो नाममात्र ही हुआ है। तो हम शासन से मांग भी करते हैं कि ऐसे अस्पतालों को चिन्हित कर उनका भुगतान शत् प्रतिशत किया जाये।

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