
गुरु कौन होता है
इस विषय पर यशवन्त पुरोहित ने कुछ
पंक्तिया एन्टी करप्शन टाइम्स को भेजी है,
उन मार्मिक विचार को आज
शिक्षक दिवस पर प्रकाशित कर रहे है।
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आया मै इस जग में ,
रोता था,कुछ ना कहता मै।।
गुरु बन माता बतियाती
मेरे भावों को शब्द देती।।
गुरु बनी माता स्तन से
जीवन अमृतपान कराती।।
गुरु बनी माता शुद्र रूप में
गंदगी से मुझे बचाती।।
गुरु बन मेरी माता मुझे
नित नए शब्द सिखाती।।
गुरु बन मेरी माता मुझे
चलना मुझे सिखाती।।
गुरु बन मेरी माता मुझे जीवन
की ऊंच नीच सदा समझाती।।
गुरु बन मेरी माता मुझे हर
कठिन समय मे साथ निभाती।।
गुरु बन मेरी माता गाल पे
अंगुलियों के निशान भी बनाती।।
गुरु बन मेरी माता जबान से
कठोर, अंदर ममता समेटे रहती।।
गुरु बन माता हर वक्त,
हर धड़कन
के साथ मेरी तरक्की,
उन्नति की ही दुआ करती।।
दुनियादारी सिखाई
अनेकों गरुओ ने,
प्रथम गुरु बन माता ने ही
जीवन जीना सिखाया।।
अनेकोनेक प्रणाम
गुरु रूपा माता को।।
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